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उत्तराखंड में बढ़ती प्राकृतिक आपदायें:"कारण और समाधान"

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शंकर प्रसाद तिवारी(विनय ) संपादक-संस्थापक-"वीरभूमि समाचार "/nazar-e-india.blogspot.com/"युगभारती पब्लिशर्स &मीडिया प्रोमोटर्स "(www.yugbharatipublishars999@gmail.com) उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं कारण तथा समाधान Submitted by Hindi on Mon, 3/7/2016 - 16:05 Author:शंकर प्रसाद तिवारी ‘विनय’ Source:जल चेतना तकनीकी पत्रिका, जुलाई 2014         यूँ तो बिजली गिरना, तेज बारिश का होना, भू–स्खलन होना तथा बादल का फटना पहाड़ी एवं हिमालयी क्षेत्रों के लिए कोई नई बात नहीं है, मगर 16–17 जून को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम सहित तमाम अन्य क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाओं से बाढ़ तथा तबाही का जो मँजर पैदा हुआ, ऐसा शायद पहले कभी नहीं देखा गया था। प्रकृति का सर्वाधिक कहर केदारनाथ धाम में देखने को मिला जहाँ ग्लेशियर टूटने तथा बादल फटने की घटना के बाद अचानक आई बाढ़ ने 10 हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील ली। हिमालय से उठने वाली यह सुनामी सिर्फ केदारनाथ तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी बादल फटने तथा लगातार बारिश के रूप में कहर बनकर

आखिर क्यों मनाया जाता है "1मई"को "विश्व मजदूर दिवस"(WORLD LABOUR DAY-WLD)••••?????जानीये मजदूर से जुड़ी रोचक-ज्ञानवर्धक सुनी-अनसुनी बातें ••••••

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शंकर प्रसाद तिवारी(विनय), संपादक-संस्थापक-"वीरभूमि समाचार "(veerbhoomisamachar.com)(veerbhoomisamachar999@gmail.com)/"भारत-उदय "(najar-e- -india.blogpost.com)/"युगभारती पब्लिशर्स & मीडिया प्रमोटर्स"(yugbharatipublishers999@gmail.com) सर्वप्रथम वर्ष 1889 में समाजवादी समूहों और ट्रेड यूनियनों के एक अंतर्राष्ट्रीय महासंघ ने शिकागो में हुई हे मार्केट (Haymarket, 1886) घटना को याद करते हुए श्रमिकों के समर्थन में 1 मई को ‘मई दिवस’ के रूप में नामित किया था।  अमेरिका ने वर्ष 1894 में श्रमिक दिवस को एक अवकाश के रूप में मान्यता दी, जहाँ यह प्रत्येक वर्ष सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है। जल्द ही, कनाडा ने भी इस प्रथा को अपना लिया। वर्ष 1889 में समाजवादी और श्रमिक दलों द्वारा बनाई गई संस्था सेकंड इंटरनेशनल (Second International) ने घोषणा की कि अब से 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। वर्ष 1904 में, एम्स्टर्डम (Amsterdam) में इंटरनेशनल सोशलिस्ट काॅॅन्ग्रेस (International Socialist Congress) ने सभी सोशल डेमोक्रेटिक संगठनों और सभी देशों

बीते जमाने के स्टालिश एक्टर "फिरोज खान"की पुण्य स्मृति पर उनसे जुड़ी कुछ रोचक और मनोरंजक बाते ••••••••••••••••

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शंकर प्रसाद तिवारी(विनय)  संपादक-संस्थापक-"वीरभूमि समाचार"/"भारत उदय " (veerbhoomisamachar.com)   28अप्रैल 2021       90के दशक के स्टायलिश  और प्रसिद्ध फिल्म स्टार " फिरोज खान" की पुण्यतिथि पर उनसे जुड़ी कुछ रोचक और मनोरंजक बातें••••••••••• फिरोज खान ने 1960 में फिल्म 'दीदी' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. इस दौरान उनकी मुलाकात सुंदरी से हुई और उन्होंने डेटिंग चालू कर दी. पांच साल बाद उन्होंने सुंदरी से शादी कर ली. उनके दो बच्चों में से एक बेटी लैला खान और बेटा फरदीन खान हुए. बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपने स्टाइलिश अंदाज के लिए मशहूर रहे अभिनेता फिरोज खान को हिंदी सिनेमा का पहला काउब्वॉय कहा जाता है. अनीस बज्मी के निर्देशन में बनी फिल्म वेलकम में फिरोज खान ने रणबीर धनराज जाका उर्फ RDX का रोल कर सभी को चौंका दिया था. यह उनकी आखिरी फिल्म थी और इसके रिलीज के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. फिरोज खान ने अपने फिल्मी करियर में चॉकलेटी हीरो से लेकर खूंखार खलनायक तक के रोल किए थे. आज 27 अप्रैल को फिरोज खान की पुण्यतिथि है. क्या आपको पता है कि फिरोज खा

विदेश रहें तो सूनापन, घर रहें तो बंधन || आचार्य प्रशांत (2019)

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